जर्मनी में राजनीतिक भूचाल: चांसलर शोल्ज़ ने विश्वास मत खोया, समयपूर्व चुनाव संभव
बर्लिन: जर्मनी में राजनीतिक अस्थिरता ने एक नया मोड़ ले लिया है। देश के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ ने विश्वास मत खो दिया है, जिससे गठबंधन सरकार टूट गई है और समयपूर्व चुनाव की संभावना बढ़ गई है। यह घटनाक्रम उस समय हुआ है जब जर्मनी आर्थिक मंदी और ऊर्जा संकट का सामना कर रहा है।
गठबंधन सरकार का विघटन
ओलाफ शोल्ज़ की सरकार, जिसमें समाजवादी पार्टी (SPD), ग्रीन पार्टी और फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी (FDP) शामिल थीं, आंतरिक मतभेदों के कारण विफल रही। ग्रीन पार्टी और FDP के बीच जलवायु नीतियों और बजट आवंटन को लेकर लंबे समय से मतभेद थे। इन विवादों ने अंततः सरकार की स्थिरता को कमजोर कर दिया।
चुनाव की संभावना
विशेषज्ञों का मानना है कि अगले कुछ महीनों में जर्मनी में समयपूर्व चुनाव हो सकते हैं। विपक्षी दल, खासकर क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU), पहले से ही अपनी रणनीतियों को तेज कर रहे हैं। CDU नेता फ्रेडरिक मर्ज़ ने कहा, “यह सरकार शुरुआत से ही अस्थिर थी। जर्मनी को एक स्थिर और मजबूत नेतृत्व की जरूरत है।”
आर्थिक मंदी का प्रभाव
जर्मनी की अर्थव्यवस्था, जो यूरोप की सबसे बड़ी है, धीमी विकास दर और उच्च मुद्रास्फीति से जूझ रही है। ऐसे में सरकार की अस्थिरता ने निवेशकों और आम नागरिकों के बीच चिंता बढ़ा दी है। ऊर्जा संकट और रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव से स्थिति और भी जटिल हो गई है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
जर्मनी के राजनीतिक संकट पर यूरोपीय संघ और नाटो के सहयोगियों ने चिंता व्यक्त की है। यूरोपीय संघ के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा, “जर्मनी यूरोपीय संघ का केंद्र है। इस संकट का प्रभाव पूरे यूरोप पर पड़ सकता है।”
आगे की राह
आगामी चुनाव जर्मनी के भविष्य की दिशा तय करेंगे। जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संकट और आर्थिक स्थिरता जैसे मुद्दे आने वाले चुनावों में प्रमुख भूमिका निभाएंगे।
द सोर्सेज के पाठकों के लिए यह देखना दिलचस्प होगा कि जर्मनी इस राजनीतिक संकट से कैसे उबरता है और क्या समयपूर्व चुनाव देश में स्थिरता वापस ला सकते हैं।