(महू): महू तहसील क्षेत्र में चारों तरफ टोल रोड का जाल बिछा है,लेकिन सड़कों की बदहाली टोल कंपनियों की मनमानी को उजागर कर रही है।महू से मानपुर, मंडलेश्वर और इंदौर जाने वाली सड़कों पर टोल बूथ होने के बावजूद, इन सड़कों की हालत बेहद खराब है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामले में यह टिप्पणी की थी कि गड्ढों से भरी सड़क पर टोल टैक्स वसूलना गलत है, लेकिन स्थानीय टोल कंपनियां इस बात की परवाह नहीं कर रही हैं।
प्रमुख समस्या क्षेत्र:
1. पिगडम्बर और राऊ-महू मार्ग पर गड्ढे

आगरा-मुंबई नेशनल हाईवे पर राऊ से महू के बीच कई जगहों पर बड़े गड्ढे हो गए हैं। हाल ही में बने राऊ-देवास बायपास ओवरब्रिज पर भी कई गड्ढे हैं, जिससे आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। पिगडम्बर क्षेत्र में मेडिकैप्स कॉलेज के सामने बड़े गड्ढों के कारण वाहनों का निकलना मुश्किल हो रहा है। ये गड्ढे महू और सोनवाय टोल बूथ के नजदीक हैं, जहां टोल वसूला जाता है।
2. मानपुर-लेबड़ रोड पर पैचवर्क

मानपुर को धार जिले के लेबड़ से जोड़ने वाली सड़क की हालत भी खस्ता है। इंदौर जिले की सीमा पर स्थित जूनीखेड़ी गांव के पास बड़े गड्ढे देखे जा सकते हैं। टोल कंपनी ने इन गड्ढों को ढकने के लिए पैवर ब्लॉक लगाए थे, जो भारी वाहनों के दबाव से टूट रहे हैं।
3. मानपुर का गणेश घाट

मानपुर के गणेश घाट पर कुछ महीने पहले ही नई सड़क बनी थी, लेकिन एनएचएआई द्वारा निर्मित यह सड़क भी कई जगहों से उधड़ने लगी है। सड़क के बीच में बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं, जो बारिश में पानी से भर जाते हैं। इससे वाहन चालकों को गड्ढे दिखाई नहीं देते और दुर्घटनाएं हो रही हैं। टोल बूथ या एनएचएआई के अधिकारियों ने अब तक इसकी मरम्मत की सुध नहीं ली है।
4. जामगेट-मंडलेश्वर रोड

पर्यटन स्थल जामगेट से मंडलेश्वर जाने वाली सड़क पर भी कई गड्ढे हैं। इस मार्ग से बड़ी संख्या में पर्यटक गुजरते हैं, जिन्हें खराब सड़क के कारण परेशानी हो रही है। महू के उमरिया में भी एक टोल बूथ है, जो इस मार्ग पर है।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया

इस मामले पर महू के एसडीएम राकेश परमार ने कहा, “टोल रोड की मरम्मत की जिम्मेदारी संबंधित टोल कंपनी की होती है। अगर सड़कों पर गड्ढे हैं, तो मैं संबंधित विभागों से जानकारी लेकर सड़कों को दुरुस्त करवाऊंगा।”
आम जनता का कहना है कि जब कंपनियां सड़कों की देखभाल नहीं कर रही हैं, तो उन्हें टोल टैक्स क्यों देना पड़ रहा है। यह स्थिति टोल कंपनियों की जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।



                                    
